YOURSPOWER के इस दूसरे आर्टिकल मे आपका स्वागत है। आगे के आर्टिकल में हमने जाना था कि हम कौन हैं, कहां से आए हैं और वापिस कहां जाना है। बीच का सफर बहुत Interesting भी है और Important भी।
The Power Of Mind and Power Of Meditation in Hindi |
इसी में हम चाहें तो देव जेसे पवित्र भी बन सकते हैं या दानव जेसे अपवित्र भी बन सकते हैं। एक मनुष्य ही ऐसा जीव है जिसके पास सोचने - समझने का पावर होता है। जो की इंसान को और जिव से बेहतर बनाता है अगर वह इसका सही तरीके से उपयोग करना सिख ले। तो आइए हम Power Of Mind और Power of Meditation के बारे में कुछ नया सीखते है।
इंसान अपनी ईच्छाए पूरी करने की बहोत चाहत रखता है, लेकिन ये सारी ईच्छाए मनुष्य में आती कहा से है?
जेसे की हम जानते हैं कि हम सभी पांच शरीरो का समूह है, जिस तरीके के मुताबिक हमारी परवरीश हुई होती है इसी के मुताबिक हम सोचते है और हम वैसे ही कर्म करने के लिए प्रेरित होते हैं और उसी प्रकार का हमे फल भी मिलता है। यह बिल्कुल फिल्म प्रोजेक्ट जैसा है।
उदाहरण के तोर पर जेसे शोले फिल्म की DVD रखने पर हम जय - वीरू और गब्बर की फाइट ही देख सकते हैं। जैसा अंदर होगा वैसा ही बहार दिखाई देगा।
विचार के संप्रेषण के लिए हमारी Consciousness, हमारी चेतना का स्तर उठाना बहोत जरुरी है और यह मेडिटेशन द्वारा लाया जा सकता है। जब हम गहरे ध्यान में होते हैं तो हमारा माइंड Alfa या Bita स्टेट में होता है और उसी स्थिति में किया हुआ विचार फलीभूत होने में बहुत आसानी होती है।
दोस्तों ये बात आप भी मानते होंगे की जिसकी मस्ती जिंदा है उसकी हस्ती जिंदा है।
हमने आगे जाना कि हमारे माइंड मे Thoughts केसे दाखिल होते है। आप यदि मार्क करोगे तो कल हमे जो विचार आए थे उसी के 95 से 98% विचार आज आएंगे और जो विचार आज आने वाले हैं इसी के 95 से 98% विचार कल आएंगे और यह चक्र हमेशा चलता रहता है।
इसीलिए जो व्यक्ति अपने को दुखी समझता है, जो अपने को बीमार समझता है ठीक इसी तरह सोचता है जेसे वह फिल्म का गाना है ना अभी तो मैं जवान हूं, ठीक उसी तरह वो भी सोचता रहता है की अभी तो मैं बीमार हूं, अभी तो मैं बीमार हूं.. मतलब आप अपनी बीमारी का गाना गा गा कर हमारे ही शरीर में इस सोच को बुलाए मेहमानों की तरह कई दिन, कई महीनों तक रखना चाहते हैं।
हालांकि यह हम अनजाने में करते हैं। याद रखिए यह मन आपके जीवन का प्रोजेक्टर है, जैसा प्रोग्राम डालेंगे, जैसा डाटा डालेंगे, लाइव स्क्रीन पर वही चलता रहेगा और आप उसे सत्य, वास्तविकता, रियालिटी समझकर फील करते रहेंगे और यह चक्र चलता रहेगा।
धड़क फिल्म के क्लाइमैक्स में हीरो ईशान खट्टर और उसके बेटे को ऊपर की छत से धड़ाम करके फेंके जाने का आवाज सुनकर और खून के तालाब में तरबतर होते हुए देखकर 5 मिनट तक जानवी कपूर के जो हालात होते हैं वैसे ही हालात हमारे दिलों दिमाग में दो-तीन दिन तक रहते हैं।
धड़कन फिल्म में जिस तरह शिल्पा शेट्टी का दिल कभी सुनील शेट्टी की तरफ तो कभी अक्षय कुमार की तरफ धड़क रहा है हमारा भी बिल्कुल वैसा ही होता है।
ऐसा क्यों? क्योंकि हमारी फाइव सेंसेश से हम यह गहरी इमोशंस FEEL करते हैं, हम यह सींस को देखते हैं, हम यह सींस को सुनते हैं, यह सींस को देखते ही हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। दरअसल इसी सींस के साथ हम जीते भी हैं और मरते भी है।
तो यह जो हम अपने माइंड प्रोग्राम में डालते हैं वह कुछ टाइम के बाद रियालिटी में ट्रांसफर होकर नजर आता है। यह बिल्कुल साइंटिफिक है बड़े-बड़े साइकोलॉजिस्ट ने आज यह माना है, पर यह हमारी बिलीफ सिस्टम पर डिपेंड करता है।
तो इससे यही निष्कर्ष निकलता है की अगर हमें सही काम करने है ,बुरे ख्यालात से बचना है तो हमारे फाइव सेंसेस को कंटोल में करना पड़ेगा। और इसको कंटोल करने के लिए Power Of Mind और Power Of Meditation को बारीकी से समझकर उस पर अमल करना पड़ेगा।
तो आगे के आर्टिकल में हम इसको Step By Step समझकर इस पर अमल करने की कोशिश करेंगे। और अगर आप अकेले हो तो यह जरूर पढ़ना और इसके मुताल्लिक कुछ पूछना कहते हो या अपनी राइ देना चाहते हो तो आपके लिए Comment box हाजिर है।
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