India का कड़वा सच.. ।।
जितनी स्विजरलैंड की Total Population है
उससे ज्यादा India Engineer Produce कर
देता है। उसके बाद भी Research and Innovation में
स्विजरलैंड नंबर वन पे है।
Independence
के बाद से Republic Of India ने
Science मे Zero Nobel Laureates Produce किए
है ।
जब कि USA ने
100+ कर दिए।
ASER
की रिपोर्ट के मुताबिक 83% Educated Indians Employable ही
नहीं है। और यह जो Sundar Pichai और
Satya Nadella की जो हम बात कर रहे हैं इन्होंने भी आगे चलकर अपनी Education बाहर
से ही की है। और यह जो सारी चीजें जो मैं लिख रहा हूं उसका Root Cause Find करने
के लिए हमें थोड़ा सा वक्त में पिछे जाना पड़ेगा।
जब ब्रिटिशर्स हम पर राज कर रहे थे तो East India Company के
सामने 2 Major Challenges थी।
एक Communication With Indians दूसरा
Workers की उनको बहुत जरूरत थी। फिर Thomas Babington Macaulay ने
हमें English Education Act 1835 दिया।
जिससे उनके दोनों Purpose पूरे
हो गए। पहला उनको एसे बंदे चाहिए थे जो चुपचाप टेबल पर बैठे और अपना काम करें, Questions ना
करें और ज्यादा Creative ना
हो। सेकंड Communication in English। India मे
English सबसे ज्यादा बोलने वाली Language नहीं
है उसके बाद भी English एक
Language की बजाए एक क्लास बन गया है। Russia, China, France जेसी
Countries में English को
लेकर इतना ज्यादा Importance नहीं
है, जितना इंडिया में है। अगर आपकी इंग्लिश अच्छी नहीं है तो आपका Communication Poor माना
जाता है। जबकि इंग्लिश नहीं आता है इसका मतलब यह है कि आप को और कोई दूसरी Language आती
है।
5
साल पुराना IOS सिस्टम
भी आज की डेट मे Outdated माना
जाता है। लेकिन इतनी Important चीज़,
हमारा Education System आज
भी बस थोड़े से Changes के
साथ ऐसे ही चल रहा है। हमारी Education System में
रटने का Competition होता
है। जो ज्यादा रट लेता है उसके ज्यादा मार्क्स आते हैं। अब 95% मार्क्स
जिसके संस्कृत में आए हैं वह भी ठीक से संस्कृत नहीं बोल पा रहा है और Basic History के
बजाय मोटी - मोटी
History की किताबें हमें पढ़ाई जाती है जिसका कोई मतलब नहीं है। अगर आज की तारीख में आपको कुछ भी पता करना हो तो आप Goggle से
पता कर सकते हो। उसके लिए आपको कुछ याद करने की जरूरत नहीं है।
और यह गवर्नमेंट स्कूल के हर क्लास में इंग्लिश का सब्जेक्ट होता है लेकिन 12 - 12 साल
लगाने के बावजूद भी लोग इंग्लिश नहीं बोल पाते हैं। और बिना किसी बुक को पढ़े एक 5 साल
का बच्चा इंग्लिश सीख लेता है। क्योंकि उसको ऐसा Environment मिल
जाता है।
(A+B)² = A² + B² + 2AB इसका Real Life में
क्या Use है
इसका किसीको नहीं पता। ना Students को
पता है, ना Principal को
पता है और ना ही Teacher को।
बस पढ़ाए जा रहे हैं। काश हो सकता है इसका कुछ मतलब हो लेकिन आप Try करके
देख लेना, ये किसी को नहीं पता कि इसका Real Life Use कहा
पे होता है। हां अगर 2AB की
जगह आपने 3AB बोल
दिया तो 4 लोग
आप पर हंसने वाले मिल जाएंगे।
Kindergarten
में बच्चों को सिखाने के लिए जो Techniques Use होती
है वह लाख गुना बेहतर है कॉलेज की वह रटने वाली Technique से।
और जिन बच्चों के ज्यादा मार्क्स आते हैं, जो Exam मे
छुपा छुपा के, चीटिंग करके लिखते हैं, आप देखोगे जब वह Real Life में
जाते हैं तो ज्यादातर वह Fail हो
जाते हैं।
Current
Education System मे हर किसी को बस Same Syllabus और
Same चीजें सिखाई जाती है। उनकी Capabilities और
Creativity का तो दूर - दूर
तक कोई मतलब ही नहीं होता। अब एक लाइन से आप मछली, शेर, सांप, हाथी, बंदर सबको लाइन से खड़ा कर दिया जाए और उनसे कहा जाए कि पेड़ पर चढ़ो तो उनको तो जिंदगी भर यही लगेगा कि वह किसी काम के नहीं, और वह काबिल ही नहीं।
द्रोणाचार्य ने भी पांडवों को उनकी स्किल सेट के मुताबिक ही उनको चीजें सिखाई थी। सबको एक ही चीज नहीं सिखाई थी। और हमारे एजुकेशन सिस्टम में और ज्यादा Options भी
नहीं है। सबसे ऊपर Science फिर
Commerce और सबसे नीचे जाकर नंबर आता है Aarts का।
और आर्ट्स लेने वाले को तो लोग इतना हल्के में लेते हैं जैसे कि वह किसी काम के ही नहीं। हर मां-बाप को तो इंजीनियर या डॉक्टर ही बनाना है। कॉलेज वाले अगर कोई एक्स्ट्रा कोर्स रख भी दे तो मां-बाप एंट्री नहीं कराएंगे। क्योंकि उनको लगता है कि वह सारा पैसा बर्बाद हो जाएगा। तो फिर कॉलेज ऑप्शन कैसे रखेगा। और बचपन से ही इसकी ट्रेनिंग शुरू हो जाती है। मां - बाप,
भाई - बहन,
रिश्तेदार सब यही समझाते हैं कि अगर आपके Marks अच्छे
नहीं आए तो आपकी Job नहीं
लगेगी, और आपकी जिंदगी बेकार हो जाएगी। अपनी Life की
Creativity को रखते हो साइड में और अच्छे मार्क्स और और अच्छी जॉब पा ना आपका सपना बन जाता है। अब यह सपना पूरा हो जाता है तो बहुत बढ़िया है, दूसरे को जेलस फील कराओगे,और अगर इस छोटी सी उम्र में यह सपना टूट जाता है तो तो Self-doubt में
आ जाते हो। जितना बाहर वाले आपको नीचा नहीं दिखाएंगे, आप उतना अपनी नजरों में खुद गिर जाओगे।
आप किसी भी चार - पांच
सक्सेसफुल लोगों को देख लो, और उनके बारे में सोच लो। जिसे आप बहुत सक्सेसफुल मानते हो या जिन की तरह आप लाइफ जीना चाहते हो। मैं यह जरूर कह सकता हूं कि वह इस एजुकेशन सिस्टम से तो नहीं सक्सेसफुल हुए होंगे, चाहे वह जो भी हो। धीरूभाई अंबानी, आमिर खान, विराट कोहली, नरेंद्र मोदी यह सब हमारे Current Education System के
Track मे नही फसे। इन्होंने खुद सीखा, खुद एजुकेट हुए और खुद आगे बढ़े।
किसी कंपनी के CEO को
कहा जाए कि आप अपने कंपनी के सारे डिपार्टमेंट में इंटरव्यू दीजिए तो कोई गारंटी नहीं है कि वह सारे डिपार्टमेंट के इंटरव्यू निकाल लेंगे। और ऐसा भी हो सकता है कि वह आधे से ज्यादा डिपार्टमेंट के लिए Education wise Qualify ही
ना हो । लेकिन वह पूरी कंपनी चला सकता है।
तो यह जो Skills है,
उसके बारे में कोई बात नहीं करता। लोग अपनी 25% से
ज्यादा जिंदगी इस एजुकेशन सिस्टम में लगा देते हैं ताकि अपने से कम पढ़े लिखे आदमी की कंपनी में जाकर उसके सपने पूरे कर सकें। इंडिया का जो Current Education System वह
अगर इतना ही अच्छा है तो जो भी सेलिब्रिटी है, पॉलीटिशियंस है वह अपने बच्चों को बाहर क्यों भेज रहे हैं? इन फैक्ट पॉलीटिशियंस के साथ ऐसा करना चाहिए कि वह जिस एरिया से जीते हैं, उसे एरिया के गवर्नमेंट स्कूल में या उसी एरिया के गवर्नमेंट कॉलेज में उनके बच्चों को पढ़ना compulsory हो
जाए । तभी वहां के गवर्नमेंट कॉलेज सुधर सकते हैं।
368
PEONS की Job के लिए 1.5 लाख
Graduates और 24968 Post Graduates ने Apply किया
। मे IAP और
IPS की तो बात ही नहीं कर रहा। क्योंकि वो तो एक Passion, एक
सपने की बात होती है। लेकिन कुछ लोग पांच - पांच,
छे - छे साल Government Job की
तैयारी करने के लिए लगा देते हैं कि जिससे उनको कोई भी गवर्नमेंट जॉब मिल जाए। जिन से पूछो कि क्यों इतने टाइम से लगे हुए हो तो उनका एक ही जवाब होता है कि जॉब सिक्योर होती है। मतलब आप काम ना भी करो तो आपको निकाला नहीं जाएगा। यह सब कामचोरी की बातें माइंड में इसीलिए आती है क्योंकि हमारा जो Current Education System है
वह इतना कॉन्फिडेंस नहीं देता कि हम अपने स्किल्स के दम पर कहीं पर काम करें और हमें निकलने का डर ना हो।
मैं आने वाले 10 साल
की तो बात ही नहीं कर रहा हूं। अगर मैं आने वाले 5 साल
की बात करूं तो Technologies में
इतना ज्यादा Changes आ
जाएगा कि जो आज हम पढ़ रहे हैं, जिस पर हम Focus कर
रहे हैं, पता नहीं वो होगा भी या नहीं।
Cloud
Computing, SEO, Digital Marketing यह सब Job पहले
हुआ नहीं करती थी। हमको Upgrad होना
पड़ेगा, नई - नई
चीजों को सीखने के लिए Open रहना
पड़ेगा। क्रिएटिव बनना पड़ेगा। जिससे हम अपनी लाइफ में कुछ Better कर
पाए। इस एजुकेशन सिस्टम से हम जो बनते हैं इससे भी आगे हम कुछ कर पाए। सिर्फ जॉब पर ही Depend ना
होकर अलग-अलग करियर ऑप्शन को चूस कर पाए । जिसके लिए हमें अपनी Skills पर
काम करना पड़ेगा और आवाज उठानी पड़ेगी कि हमारे आने वाली पीढ़ी करंट एजुकेशन सिस्टम की साजिश का शिकार न बने और यह एजुकेशन सिस्टम बेहतर से बेहतर बने और हमारा इंडिया आने वाले वक्त में एक अच्छा एजुकेशन सिस्टम के तौर पर जाना जाए |
#TimeToChange #IndianEducationSystem
"Education is Not The Learning Of Facts, But The Training Of The Mind To Think."
"If You Really Want Become Successful In Your Life Then First Upgrade Your Skills."
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