(रात के 3:00 बजे)
Midnight 3:00 AM |
जिंदगी की भागदौड ने नींद ही उड़ा दी
जब मेने खुद से सवाल किया कि थोड़ा रुक
- तू कहा जा रहा है? (Where are you going?)
- तुझे क्या चाहिए? (What do you want?)
- क्यु चाहिए? (Why?)
- तू कोण है? (Who are you?)
और अगर सबकुछ मिल भी गया तो फिर तू क्या करेगा?
तेरी जिंदगी का मकसद क्या है? (What is purpose of your life?)
(सुबह 6:00 बजे)
Morning 6:00 AM |
जब खुद से ये सवाल किया तो पहले जवाब के साथ एक और सवाल भी आया कि तू ये सब यहा (WhatsApp Status) पे क्यु लिख रहा हैं?
पहला जवाब ये आया कि तेरे दुनिया मे आने का और तेरी जिंदगी का मकसद सिर्फ खाना - पीना, सोना और कमाना नहीं है!
ये तो जरूरतें है..
(सुबह 10:00 बजे)
At 10:00 AM |
दूसरा जवाब,
एक और सवाल के साथ आया कि
लोग Social Media पे Status, Story और Post के रूप मे अपनी Feelings, अपना Intrust, अपनी Lifestyle लोगों से Share करते हैं.. क्यों?
क्योंकि उन्हें चाहिए Like, उनके Followers, उन्हें और उनकी Share की हुई चीज को पसंद करने वाले लोग,
चाहे मकसद उनका जो भी हो
(जेसे की अपने आप को अच्छा और बड़ा दिखाना, समझदार और होशियार दिखाना, दूसरों को जलाना, कोई चीज़ या अपनी idea को बेचना)
लेकिन तुम यहा पे क्या साबित करना चाहते हो?
(दोपहर 12:00 बजे)
At 12:00 PM |
सही कहा, अब तक मे भी यही करता आया हू..
लेकिन अब मे वहीं Share करूंगा जो मुझे मेरे मकसद को पूरा करने में मदद करे।
फिर एकदम से वापिस सवाल हुआ कि तेरी जिंदगी का सही मकसद क्या है? (What is the Real Purpose of your life?)
जरा इत्मीनान से सोच..!!
(दोपहर 1:10 बजे)
At 1:00 PM |
जेसे ही ये सवाल वापिस आया तो मे फिर गहरी सोच मे पड गया..
ये सवाल तो मेरे दिमाग को तेज दौड़ा रहा है और जुबान को धीरे धीरे बंद कर रहा है..
इसे पढ़नेवाले और देखनेवाले लोग समज रहे हैं कि इसका दिमाग हिल गया है..
दिल कह रहा हैं
नमाज पढ़
और अपने रब से दुआ कर
तेरा जवाब शायद मिल जाए
ठीक है तो फिर जोहर की नमाज़ का व्यक्त हो गया है,
नमाज पढ़ लेता हू,
और अपने रब से अपने वुजूद की सही पहचान करवाने की तौफिक मांगता हू..
(दोपहर 2:00 बजे)
At 2:00 PM |
जवाब मिल गया..
लेकिन पहला नहीं दूसरे सवाल का कि तुम ये सब यहा (WhatsApp Status) पे क्यों लिख रहे हो?
यहा (WhatsApp Status) पे वहीं लोग पढ़ रहे है जो मुझे जानते है, मेरे दोस्त, मेरे रिश्तेदार, मेरे घरवाले और कुछ जो सिर्फ मेरे काम से मुझे जानते है..
मुझे लगता है
की जिस सवाल के जवाब की तलाश मे कर रहा हूं, शायद कोई दूसरे भी कर रहे होंगे और उन्हें लगे कि वो मुझे इस सवाल के जबाव तक पहुचने मे मेरी मदद कर सकेंगे तो वो मुझसे बात करेंगे..
एक बात हैरान करने वाली है कि जो सवाल अक्सर लोगों को अपनी जिंदगी के आखिरी वक़्त मे परेशान करता है, वो मुझे अभी क्यों हो रहा है..
कई लोगों को तो वक़्त ही नहीं मिल पाता ये सोचने का कि मे किस लिए भेजा गया हू?, मेरा मकसद क्या है? (What is the purpose of my life?)
सिर्फ कमाने मे और बसाने मे जिंदगी निकल जाती है और मौत आके खड़ी हो जाती है कि बस अब रुक जा तेरा वक़्त खत्म हुवा..
पिछले कुछ दिनों मे मेरे साथ कुछ एसा हुवा की जिसने मुझे इस सवाल पे पहुचा दिया।
मुझे एहसास हुवा की मे सिर्फ अपनों की खुशी के लिए खुद की खुशी को मार रहा हू और उन्हें खुश करने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहा हू,
हर रिश्ता पूरी शिद्दत से निभा रहा हू।
मै हू तो एक लेकिन एक बेटे का, एक भाई का, एक शौहर का, एक बाप का, एक दोस्त का, ऐसे कई किरदार निभाने की पूरी कोशिश कर रहा हू..
लेकिन इसमे मे भूल गया कि ईन किरदारों के अलावा भी मेरा कोई वुजूद है.. मेरी खुशी, मेरी चाहत, मेरी पसंद - नापसंद की भी कोई अहमियत होनी चाहिए..
मेरे दिमाग ने भी यही कहा कि क्यों वक़्त बर्बाद कर रहा है इसे फिजूल सवालो मे..
जेसे सभी लोग सुकून की जिंदगी की तलाश मे भाग रहे है, तू भी भाग..
(शाम 5:00 बजे)
At Evening 5:00 PM |
इंसान अपने आप को कामयाब तब समझता है जब उसके पास एक अच्छा घर हो, अच्छी सेहत हो, उसके बैंक में बैलेंस हो (यानी पैसे हो) , वो जब चाहे जितने चाहे पैसे खर्च कर सके..
तू भी यही कर इसके अलावा तुझे क्या चाहिए और इससे ज्यादा पाकर भी तू क्या करेगा और तुझे क्या चाहिए?
जैसे हर किसी की जिंदगी चल रही है कि 20-22 साल तक पढ़ाई करो, फिर पैसों के लिए नोकरी करो या कोई बिजनेस, फिर शादी करलो, फिर बच्चे हो जाएंगे और फिर बच्चों की परवरिश करने मे ज्यादा कमाने की फ़िकर करो और अपने बच्चों को, अपनी बीवी को, अपने घरवालों को खुश करने की सारी कोशिशें करो, फिर बच्चे बड़े होने के बाद उनकी शादी की तैयारी करो और फिर 45-50 की उम्र के बाद पैसे बचाने की फ़िक्र और फिर तभी अपनी सेहत को सम्भालने की फ़िक्र करो.. और अगर सम्भाल ना पाए तो फिर मौत का इन्तेज़ार करो..
(रात 11:00 बजे)
At 11:00 PM |
अब जाकर इस सवाल पे आया हू की अगर मेने सबकुछ हासिल कर भी लिया, जो हर इंसान चाहता है लेकिन वो सब पाने के बाद मैं क्या करूंगा? मरते वक़्त कोई अफसोस न रह जाए कि तूने अपने सही मकसद को जाने बगैर अपनी जिंदगी यू ही बर्बाद कर दी..
इस सवाल ने मुझे अपने बारे मे सोचने के लिए मजबूर कर दिया है।
अब मे हर रोज अपने आप से ये सवाल पूछ कर अपने आप को गुजरे हुए कल से आज को बेहतर बनाने की पूरी कोशिश करूंगा और अपने मन की ओर जिस्म की सही ताकत और क्षमता को पहचानने की कोशिश करता रहूँगा।
ऐ मेरे मालिक, 😔
हम सबको जिंदगी का सही मकसद और हमारे दुनिया मे आने का मकसद समझने की तौफिक अता कर। 🙏
वाह! ईरबाज वाह । आप ने यह पुथ्वी का सर्जन हुआ तब से आज तक पूरे विश्व में आकर चले गए, जो आज जी रहे है और आने वाले सभी के लिए जाग्रत होने का अवसर दिखाया। मनुष्य जन्म से मृत्यु तक यांत्रिक जीवन जीता है इस लिए उसे पूर्ण शांति की अवस्था उपलब्ध नहीं होती है।
ReplyDeleteवेद, उपनिषद, गीता, बाइबल, कुरान, गुरु ग्रंथ साहिब , सूफी, संत, ओलीया, साधु,तीर्थंकर, फकीर और जीवन प्रेमी का सार जीवन का मकसद समझाता है उसमे घुल मिल जाना यही सत्य की खोज है। मैं कोन हूं, कहा से आया, क्या करना, कहा जाना यह जीवन के मूल प्रश्न है उसी को समझकर जीना ही समाधि है। जीते जी मर जाना ही उसका मर्म है। स्थूल, सूक्ष्म, अति सूक्ष्म और सर्व व्यापक एक ही तत्व है कोई उसे राम, कोई ईश्वर, कोई अल्लाह, कोई तीर्थंकर, कोई बुद्ध, कोई ईशा पुकारे लेकिन जीवन दाता स्वयं एक ही है यह समझ कर जीने वाला यह संसार में रहते हुए भी शांत है, दिलदार है और मेरा तेरा भाव से मुक्त है। मीराबाई कहती है, " प्रेम गली अति शांकली दुजा न समाय", सूफी कहता है, " मैं और मेरा यार एक बस्ती में रहता है लेकिन दोनो मिलने को तड़पते है", नानक जी कहते ही "एक ओंकार सत श्री काल", बुद्ध कहते है, " आत्म दीपो भव" .........मेरा आत्मा कहता है," खुद में ही खुदाई को पाना है यही जीवन का मकसद है।
यह संवाद उठाने के लिए ढेर सारे अभिनंदन !
राजू एम ठक्कर
आपका दिलों जान से शुक्रिया.. Rauj Sir..
Deleteआपका ये जिंदगी को देखने का नजरिया और जो सवाल मेरे अंदर उठ रहे थे उसका जवाब बेहद ही सराहनीय है..
दिल से धन्यवाद..
Great Article
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